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13 Aug 2025 · 1 min read

बरखा रानी कब परही तोर बौछार..

सावन के संग जइसे, भादो घलो सिरागे
कोन जनी बरखा हा काबर रिसागे
सुक्खा परे खेती, डोली, खार
बरखा रानी कब परही तोर बौछार

बिन पानी के अईला जाही खेती के धान
मुड़ धर के बईठे हे भुईयां के भगवान
रो रो के करत हे पुकार
बरखा रानी कब परही तोर बौछार

गरमी के मारे लागे बाय बियाकुल चोला,
बोहाए पसीना टप- टप, टप-टप जइसे के रेला
बइठे अकास ले सुरुज नारायण बरसावत अंगार
बरखा रानी कब परही तोर बौछार

सांसा चलत ले तोर ऊपर,अटके हे आसा
झन टोरबे हमर आसा, हो जाहि तमासा
बिन बरखा के सुन्ना- सुन्ना भुईयां के सिंगार
बरखा रानी कब परही तोर बौछार

अईसे बरस दे झिमिर झिमिर, छलकय खेती खार
ताल तरैया, नदिया, नरवा, छलकय बहरा नार
टर-टर,टर-टर, मेचका-बेंगवा ल पारन दे गोहार
बरखा रानी कब परही तोर बौछार

लिखेश्वर साहू
ग्राम सौंगा
तह – मगरलोड,
जिला – धमतरी
9669874209

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