गोल-मटोल नटखट छोरा
गोल-मटोल मेरा छोरा,
नटखट है जैसे झोरा।
टोटली बोलता है जब,
सब हँसते हैं ठहाके लगाते सब।
लंगड़ी-टंगड़ी चलती चाल,
फिसल जाता बार-बार बाल।
धमाल मचाए चक्कर-चक्कर,
कभी गिरे, कभी हँसे बड़बड़।
चप्पल छुपाए, सबको चिढ़ाए,
पकड़े जाए तो बड़बड़ाए।
दुलार सबका पाता है,
पर सबको छेड़ कर हँसाता है।
प्यारा है वो, नटखट है वो,
सबका दिल जीत लेता जो।
गोल-मटोल बाबा जी का बच्चा,
मस्ती में सबसे आगे सच्चा!