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9 Aug 2025 · 2 min read

बहना चालीसा

॥ दोहा ॥
स्नेह-सुमन सरसाइ बहै, राखी रस की धार।
मंगल मूर्ति बहन रूप, बंधे प्रेम उपहार॥

अभिषेक वंदन करे, बहना चरणों धार।
तेरे पावन प्रेम से, जीवन हो उजियार॥

॥ चालीसा (चौपाई) ॥

जय बहना स्नेह की रानी।
ममता रूपी जीवन वाणी॥

तेरी महिमा कौन बखाने।
हर रिश्ते में प्रेम जगावे॥

बाल्यकाल में साथ निभाया।
हर मुस्कान में दुख छुपाया॥

बचपन की तू राजकुमारी।
भाई की तू रही सहारी॥

राखी बाँधे रख भाव पवित्रा।
मन में बसती शक्ति चित्रा॥

रूठे तो खुद पास बुलाए।
माँ जैसी ममता बरसाए॥

तू लक्ष्मी बन घर में आए।
भाई के हित द्वार सजाए॥

तेरी हँसी सुखद सुनाई।
मन में शांति करे समाई॥

तेरी आँखें स्वप्न सँवारे।
तेरे आँसू दुख सब मारे॥

तू ही शक्ति, तू ही पूजा।
तू ही सेवा, तू ही दूजा॥

तेरे बिना घर सूना लागे।
भाई का रोया मन जागे॥

सावन लाया राखी-प्रीत।
तेरे बिना सब है अतीत।।

तेरी बातें हैं शीतल छाया।
दुख के बादल भी मुस्काया॥

भाई को जो संकट घेरे।
बहना उसकी ढाल सवारे॥

भाई बीमार हुआ जो भारी।
बहना रखे उपवास तुम्हारी॥

तेरे हाथों का हर निवाला।
माँ के लड्डू सा रसवाला॥

तेरे आँचल की वो छाया।
सब संकट से दे बचाया॥

कभी बहन माँ बन जाए।
कभी गुरु बन राह दिखाए॥

त्यागी रूप, सरलता भारी।
हर रूप में बहना न्यारी॥

तेरा नाम जपे जो प्राणी,
सुख बरसे घर-आंगन सारा॥

तेरे बिना सूने त्योहार।
मन ना माने, ना हो बहार॥

तू ससुराल में राजदुलारी।
बाबुल घर की तू उजियारी॥

बचपन में तू संग बतियाए।
अब दूरी पर अश्रु बहाए॥

हर जन्म में तू साथ निभाना।
बहन बन हर बार तुम आना॥

तू ही श्रद्धा, तू ही भक्ति।
तेरे बिना न पूर्ण शक्ति॥

अश्रु भी तेरे अमृत बनते।
हर शब्दों में गीत जपते॥

हर मन में तू दीप जलाए।
तेरे बिन स्नेह न आए॥

भाई बोले दिल से प्यारा।
मेरी बहना, तुझपे न्यारा॥

बहना चालीसा जो जन गावे।
भाई-बहन सुख-फल पावे।।

द्वेष मिटे, हो प्रेम अपारा।
संग रहे खुशियों का धारा॥

॥ समापन दोहा ॥

बहना चालीसा गाए जग, अभिषेक की वाणी।
हर बहन में देखे वो, ममता की बलिदानी॥

अभिषेक वंदन करै, बहना चरणन पाय।
राखी बंधन अमर रहे, जग में प्रेम समाय॥

बोलो सब बहना चालीसा की जय।
बोलो सब बहना महारानी की जय॥

लेखक” अभिषेक मिश्रा ‘बलिया’

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