राखी
कुण्डलिया
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१.
राखी बन्धन प्रेम का, रखना इसकी लाज।
रक्षा दुर्बल की सदैव, करता सभ्य समाज।
करता सभ्य समाज, सदा प्रण भाई लेता।
कष्ट बहन के निकट, कभी नहिं आने देता।
कहत राज यह आज, सखी तुम गाओ साखी।
जो यहि लायक होय, उसे ही बाॅंधो राखी।।
२.
राखी का बन्धन अमिट, यह पवित्र त्यौहार।
बन्धु बहन के नेह का, यह उत्तम व्यवहार।
यह उत्तम व्यवहार, बहन की लाज बचाना।
दिखे दुशासन नीच, उसे तुम मार भगाना।
कहत राज करजोर, सभी सद ग्रन्थन भाखी।
सुरक्षा का लो भार, बॅंधाओ जिससे राखी।।
~राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)