गामक गोरी
✍️ श्रीहर्ष
गामक गोरी —फुल अरहुल सन,
बोलै जइसे बजन्ती गीतनाद।
काजर भरल आँखि —
ओहि में गामक पुरनिया कहानी।
नहि सजल बाजारक शीशा सऽ,
नहि शहरक चलन —
ओकरे रूप बसलौ,
जे बिहानक कुहासामें
गोहालक दूध सन उजास।
ओ दही मथेए —
तेहन कि संस्कार नुका जाइए।
ओ गीत गाबेए —
जइमे देवीक लोर सुनाए।
नथुनी चमकै — मुदा ओहि सँ बेसी
ओकरे लाज चमकै।
ओ मोन कहैए —
मुदा पानि देबैत, सनेस दऽ जाइए।
ओहि गोरी के गामक धुरि बहुत चिन्हैए —
भूखल नेनाक गाल सुँघैए —
ओहि में ममता — ओहिमें व्रत।
गामक गोरी — गीत सन मधुर,
नैनक कोर पर बसल रहैए ।
जे हँसैए —
त चूल्हा तक हँसैए।
जे रोवैए —
त घट्टीयो सिसकै।
सगर नारी बसल —ओकरामें
नहि नामक महत्त्व, नहि जातिक जनगणना।
ओ बस ‘हमर गोरी’ —
जननी सन — सादा, सरस, सुगंधित।