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7 Aug 2025 · 1 min read

गामक गोरी

✍️ श्रीहर्ष

गामक गोरी —फुल अरहुल सन,
बोलै जइसे बजन्ती गीतनाद।
काजर भरल आँखि —
ओहि में गामक पुरनिया कहानी।

नहि सजल बाजारक शीशा सऽ,
नहि शहरक चलन —
ओकरे रूप बसलौ,
जे बिहानक कुहासामें
गोहालक दूध सन उजास।

ओ दही मथेए —
तेहन कि संस्कार नुका जाइए।
ओ गीत गाबेए —
जइमे देवीक लोर सुनाए।

नथुनी चमकै — मुदा ओहि सँ बेसी
ओकरे लाज चमकै।
ओ मोन कहैए —
मुदा पानि देबैत, सनेस दऽ जाइए।

ओहि गोरी के गामक धुरि बहुत चिन्हैए —
भूखल नेनाक गाल सुँघैए —
ओहि में ममता — ओहिमें व्रत।

गामक गोरी — गीत सन मधुर,
नैनक कोर पर बसल रहैए ।
जे हँसैए —
त चूल्हा तक हँसैए।
जे रोवैए —
त घट्टीयो सिसकै।

सगर नारी बसल —ओकरामें
नहि नामक महत्त्व, नहि जातिक जनगणना।
ओ बस ‘हमर गोरी’ —
जननी सन — सादा, सरस, सुगंधित।

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