दोहा पंचक. . . . . छोटी-छोटी बात
दोहा पंचक. . . . . छोटी-छोटी बात
छोटी -छोटी बात पर, होते बड़े फसाद ।
कटुता के कारण करें , बंद सभी संवाद ।
छोटी-छोटी बात पर, बिखर गए परिवार ।
अवसादों में घिर गया, सुख रूपी संसार ।।
छोटी-छोटी बात पर, रिश्ते होते खाक।
दागदार होने लगे, बंधन मन के पाक ।
छोटी-छोटी बात पर, बंधन मिटें विशेष ।
रिश्तों को आहत करें, मन में बढ़ते द्वेष ।
छोटी-छोटी बात को, जो दिल में लेते धार ।
धूमिल होता आपसी, रिश्तों का शृंगार ।।
सुशील सरना / 4-8-25