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4 Aug 2025 · 1 min read

दोहा पंचक. . . . . छोटी-छोटी बात

दोहा पंचक. . . . . छोटी-छोटी बात

छोटी -छोटी बात पर, होते बड़े फसाद ।
कटुता के कारण करें , बंद सभी संवाद ।

छोटी-छोटी बात पर, बिखर गए परिवार ।
अवसादों में घिर गया, सुख रूपी संसार ।।

छोटी-छोटी बात पर, रिश्ते होते खाक।
दागदार होने लगे, बंधन मन के पाक ।

छोटी-छोटी बात पर, बंधन मिटें विशेष ।
रिश्तों को आहत करें, मन में बढ़ते द्वेष ।

छोटी-छोटी बात को, जो दिल में लेते धार ।
धूमिल होता आपसी, रिश्तों का शृंगार ।।

सुशील सरना / 4-8-25

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