शिव हीं सुंदर सत्य हैं, जो लेता यह मान।
शिव हीं सुंदर सत्य हैं, जो लेता यह मान।
ज्ञान चक्षु उसका खुले, बनता वही सुजान।।
समय निकालकर भक्ति का, करिए शिव का ध्यान।
शिव के चरणों से बड़ा, पाना है क्या स्थान।।
शंभु शिवा गणेश जिसे, देते हों वरदान।
जग में फिर उसको भला, कौन करे नुकसान।।
“पाठक” शिव अनुचर बना, करता सदा गुमान।
शिव शंकर जपता हुआ, निर्भय रखता मान।।
:- राम किशोर पाठक (शिक्षक/कवि)