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1 Aug 2025 · 1 min read

दोहा चौका. . . . विविध

दोहा चौका. . . . विविध

किसको किसकी है पड़ी , सब अपने में मस्त ।
कौन सोचता हो गया, किसका सूरज अस्त ।।

गिर कर उठने का नहीं, जिसे जगत् में ज्ञान ।
ठोकर में रखते उसे, संसारिक इंसान ।।

स्वार्थ शूल हर बात में, रखता है इंसान ।
कितनी होगी वेदना, कहाँ करे वह ध्यान ।।

सोच समझ कर बोलना, अपने मन की बात ।
क्या जाने किस बात पर, कोई दे आघात ।।

सुशील सरना / 1-8-25

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