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31 Jul 2025 · 1 min read

बेदर्द यार

इतना भी कोई बेदर्द किसी का यार नहीं होता ।
कहकर जो भूल जाए बात वो दिलदार नहीं होता ।।

हम तो बैठे थे इन्तजार में इन्तजार के भरोसे ही ।
बात कहकर जो भूल जाए वो प्यार नहीं होता ।।

इतना भी र्निदयी कोई किसी का तलबगार नहीं होता ।
माना बंदिशे बहुत है तेरी मगर ऐसे तडफाना हर बार नही होता ।।

हम तो करते हैं दिल से बेपनाह प्यार तुम्हें पर तेरा अब इन्तजार नहीं होता ।
ये कमबख्त इन्तजार भी तो ऐसा है बिना इन्तजार के प्यार नहीं होता ।।

तुम समझोगे तड़फ मेरी तो कभी यूंही कोई किसी का पहरेदार नहीं होता ।
करते हैं जो इन्तजार दिल से उनसे सच्चा तो कोई यार नहीं होता ।।

ललकार भारद्वाज

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