बेदर्द यार
इतना भी कोई बेदर्द किसी का यार नहीं होता ।
कहकर जो भूल जाए बात वो दिलदार नहीं होता ।।
हम तो बैठे थे इन्तजार में इन्तजार के भरोसे ही ।
बात कहकर जो भूल जाए वो प्यार नहीं होता ।।
इतना भी र्निदयी कोई किसी का तलबगार नहीं होता ।
माना बंदिशे बहुत है तेरी मगर ऐसे तडफाना हर बार नही होता ।।
हम तो करते हैं दिल से बेपनाह प्यार तुम्हें पर तेरा अब इन्तजार नहीं होता ।
ये कमबख्त इन्तजार भी तो ऐसा है बिना इन्तजार के प्यार नहीं होता ।।
तुम समझोगे तड़फ मेरी तो कभी यूंही कोई किसी का पहरेदार नहीं होता ।
करते हैं जो इन्तजार दिल से उनसे सच्चा तो कोई यार नहीं होता ।।
ललकार भारद्वाज