जब थका तन हारता मन,
जब थका तन हारता मन,
हौसला तब-तब बढ़ाया।
लक्ष्य पर नित बढ़ रही मैं,
रास्ता तुमने दिखाया।
बेबसी के उस प्रहर में,
ढा रहा था जग कहर जब।
सुर सधी आवाज भी ये,
हो रही थी बेअसर जब।
हर तरफ वीरानगी थी,
घिर रही थी दुख-भँवर में,
तब बढ़ाकर हाथ अपना,
पार तुमने ही लगाया।
© सीमा