आत्म ज्ञान जब हो जाता है
आत्मज्ञान जब हो जाता है
सच्चा सुख प्राणी पाता है
माया मोह का ही नाता है
इसी से प्राणी भरमाता है
खुद को जग में भटकाता है
पग पग में ठोकर खाता है
ज्ञान की ज्योति जला ले मानव
अज्ञान अंधेरा मिट जाता है
जान लो ये बातें ‘उदास’ की
लिख लिख कर जो समझाता है