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26 Jul 2025 · 4 min read

शैशव में श्रीमद्भगवत्कथा की अमृतवाणी: विश्व की सबसे कम आयु की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास – श्वेतिमा माधव प्रिया

“शैशव में श्रीमद्भगवत्कथा की अमृतवाणी: विश्व की सबसे कम आयु की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास – श्वेतिमा माधव प्रिया”

✨ भूमिका: जब आस्था बोलने लगे शैशव में…

आस्था जब किसी बालिका की वाणी में स्वर धारण कर ले, भक्ति जब उसकी मुस्कान में झलकने लगे, और शास्त्र जब उसकी स्मृति में सहजता से बस जाएँ—तो समझ लीजिए, कोई असाधारण संकल्प इस धरती पर अवतरित हुआ है। ऐसी ही एक विलक्षण, दिव्य, और अद्वितीय बालकथा व्यास हैं — श्वेतिमा माधव प्रिया, जिन्हें आज विश्व की सबसे कम आयु की अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रीमद्भगवत कथावाचिका होने का गौरव प्राप्त है।

ग्राम भस्मा गोरखपुर (उत्तर प्रदेश, भारत) की पवित्र धरती पर जन्मी, श्वेतिमा न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे राष्ट्र का आध्यात्मिक गौरव बन चुकी हैं। उनका जीवन एक ऐसी प्रेरणादायक गाथा है, जहाँ परंपरा, प्रतिभा और प्रभु की कृपा एक साथ मिलती है।

🌼 शैशव से ही दिव्यता की झलक

केवल तीन वर्ष की कोमल आयु में जब बच्चे बोलना सीखते हैं, तब श्वेतिमा श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक कंठस्थ कर अर्थ सहित बोल रही थीं। उनकी वाणी में संकोच नहीं, संस्कार था; संवेदना नहीं, सिद्धांत था; और कृपा नहीं, कृष्ण स्वयं वास कर रहे थे।

उनके पिता, सौहार्द शिरोमणि डॉ. सौरभ पांडेय, एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय चेतना के वाहक हैं। उन्होंने धर्म और समाज के बीच सेतु बनाते हुए धरा धाम इंटरनेशनल जैसी सर्वधर्म समन्वय की अंतरराष्ट्रीय संस्था की स्थापना की है। उनकी धर्मपत्नी, डॉ. रागिनी, स्वयं एक अध्यात्मनिष्ठ शिक्षिका और मातृत्व की प्रतीक हैं। ऐसे भावपूर्ण, संस्कारशील परिवेश में श्वेतिमा का बचपन स्वाभाविक रूप से भक्ति की भावभूमि पर विकसित हुआ। उनके बाबा सोमनाथ पाण्डेय एवं नाना राम गिरीश तिवारी है।माधव प्रिया का चार वर्षीय अनुज बाल भक्त सौराष्ट्र वैदिक ज्ञान प्राप्त कर रहा है।श्रीमद भागवत की शिक्षा कथा प्रवक्ता आचार्य शिवम शुक्ला जी द्वारा ऑनलाइन सीखी है।संगीत की शिक्षा श्रीमती सुनिशा एवं अवनींद्र सिंह से प्राप्त कर रही है।

📿 बाल्यावस्था में श्रीमद्भगवत्कथा का प्रवाह

आज तक श्वेतिमा माधव प्रिया 23 श्रीमद्भगवत सप्ताहीय ज्ञान यज्ञों में कथा वाचन कर चुकी हैं। उनके कथा मंच केवल भक्ति भाव से परिपूर्ण नहीं होते, बल्कि वहाँ सुनने वालों को ज्ञान, गीता, और गहराई मिलती है।
सुनने वाला कोई भी हो — ग्रामीण महिला, शहरी युवा, विदेशी अतिथि या संत महात्मा — सबको उनके मुख से निकली कथा में माधुर्य और मार्मिकता एक साथ मिलती है।

उनकी शैली में सादगी, शुद्धता, और शास्त्रीयता का त्रिवेणी संगम देखने को मिलता है। ‘श्रवणम्, कीर्तनम्, स्मरणम्’ को उन्होंने बाल्यकाल में ही जीवन का केंद्र बना लिया है।

🌏 अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का गौरव

श्वेतिमा का यश केवल भारत तक सीमित नहीं है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी संस्कृत के श्लोक, भक्ति गीत, और संवेदना से भरी कथाएँ सुनाकर भारतीय आध्यात्मिक परंपरा को एक नया आयाम दिया है। उनके हृदय में विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव सहज रूप से प्रवाहित होता है।

उन्होंने नेपाल भूटान अन्य देशों के धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजनों में बाल संत के रूप में भाग लेकर न केवल भारत की संत परंपरा का गौरव बढ़ाया है, बल्कि बाल चेतना की शक्ति को भी विश्वमंच पर प्रस्तुत किया है।दर्जनों सम्मान प्राप्त हो चुका है श्वेतिमा माधव प्रिया को।

🌺 श्वेतिमा की विशिष्टता: केवल वाणी नहीं, साधना का प्रतिबिंब

श्वेतिमा केवल शास्त्रों को सुनाने वाली कथा-वाचिका नहीं हैं, वे शास्त्रों को जीने वाली बालिका हैं। प्रातः ध्यान, संध्या आरती, शास्त्रपठन, सत्संग और सेवा—ये सब उनके दिनचर्या का हिस्सा हैं।

उन्होंने कम उम्र में ही “परमात्मा और आत्मा के संबंध”, “अहंकार का त्याग”, “सात्विक जीवन शैली” जैसे जटिल विषयों को सरल, रोचक और मार्मिक भाषा में कथा के माध्यम से समझाने की अद्वितीय क्षमता अर्जित कर ली है।

🕊️ बालिकाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत

जब बालिकाओं के रोल मॉडल आज की दुनिया में बॉलीवुड, फैशन या सोशल मीडिया सितारे बनते जा रहे हैं, ऐसे समय में श्वेतिमा एक मौन लेकिन प्रभावशाली क्रांति का नाम हैं। वे यह संदेश देती हैं कि सादगी भी सुंदर है, भक्ति भी बलवान है, और बालिका भी अध्यात्म का दीप बन सकती है।

उनका जीवन देश की हर बालिका के लिए प्रेरणा बन सकता है — चाहे वह गाँव में हो या महानगर में, विद्यालय में पढ़ रही हो या घर में। श्वेतिमा यह दिखाती हैं कि धर्म कोई पुरातन परिपाटी नहीं, बल्कि नित्य नवीन ऊर्जा है, जो जीवन को दिशा दे सकती है।

📖 भविष्य की रूपरेखा: एक वैश्विक संत चेतना का उदय

धरा धाम इंटरनेशनल द्वारा संचालित योजनाओं के अंतर्गत श्वेतिमा को नैचुरोपैथी, योग, धार्मिक विज्ञान, और मानव सेवा जैसे क्षेत्रों में भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। उनके लिए विशेष रूप से एक बाल संत प्रशिक्षण केंद्र की परिकल्पना की गई है, जहाँ भारत के अन्य प्रतिभावान बच्चों को भी शास्त्र, संस्कृति, साधना और सेवा की शिक्षा दी जाएगी।

श्वेतिमा स्वयं भी भविष्य में महिलाओं और बच्चों के लिए आध्यात्मिक चिकित्सा और आत्मिक परामर्श केंद्र शुरू करना चाहती हैं।

🌟 उपसंहार: जीवन ही है कथा

श्वेतिमा माधव प्रिया की कथा सिर्फ मंच पर नहीं गूँजती, वह उनके जीवन की प्रत्येक साँस में विद्यमान है। वह इस युग की बाल-संत हैं, जिनकी हर मुस्कान, हर शब्द, और हर विचार से भक्ति, शांति और सद्भाव की सुगंध आती है।

वह न केवल श्रीमद्भगवत्कथा की बालव्यास हैं, बल्कि वह श्रीमद्भगवत् जीवन की जीती-जागती प्रतिमा हैं।

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