उफ्फ ये गर्मी और ये आम का मिठास
उफ्फ!ये गर्मी:और आम का मिठास
कविगुरु संतोष कुमार मिरी “विद्या वाचस्पति”
छत्तीसगढ़_भारत देश के राष्ट्रीय फल आम हैं।हर भारतीय इस फल से परिचित है और गर्मी में अपने सूखे गले को आम के रस से तरावट देते है।रसीले आम और इसके गुठलियां चूस- चूस खाने की बात ही अलग है,आम की मिठास की रसास्वादन करते है।
अभी हाल ही में इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय में राष्ट्रीय आम महोत्सव 6 से 9 जून आयोजित किया गया था। इसमें आम की 427 किस्में, 1200 नमूने,आम से निर्मित 56 प्रकार के व्यंजन प्रदर्शनी में लगाया गया था जिसमें प्रमुख रूप से किसानों द्वारा उत्पादित आम दशहरी, लंगडा, बाबे ग्रीन, चौसाए मालदा, हिमसागर, सुन्दरजा, केसर, अलफान्सो, तोतापरी, नीलम बैगनफल्ली, पैरी, सिन्दूरी, फज़ली आदि किस्मों को शामिल किया गया था। संकर किस्मों के अंतर्गत मल्लिका, आम्रपाली, पूसा अरूणिमा, अंबिका,रत्ना, सिंधु, अर्का, पुनीत किस्मों को शामिल किया गया।
विशिष्ट किस्मों में हाथीझुल, नूरजंहा, लड्डु, गुलाब खास हैं।आयातित किस्में मियाजाकी, टॉमी एटकिन्स एवं गोल्डन नगेट्स किस्मों को शमिल किया गया है।
बहरहाल !गर्मी में गले की तरावट,और मुंह की सुखापन दूर करने के लिए मीठा आम का शरबत,पना,जूस मिल जाए तो आनंद ही कुछ और है।और तो और रसीले आम के गुठलियों को जूस कर खाने में जो आनंद है वह किसी अन्य फलों में नहीं है।कुछ आम दिखने में हरे होते है किंतु अंदर से पके होते हैं और बहुतायत आम तो पकने पर पीले हो जाते हैं पीले-पीले और पके-पके दिखलाई पड़ते है।
आम के आचार,सलाद भी काफी चर्चा में रहता है।
साथियों! गर्मी के बाद मानसून आता है मानसून बरसात लाता है।इस समय को पहचान कर जो आम लगाएगा निश्चित तौर पर आम की बगिया या बगीचा नजर आएगी और आम खाने के अवसर कभी न खोएंगे।साथ ही आपकी हमारी आमदनी में बढ़ोतरी होगी।पर्यावरण सुसज्जित होगा। हमें प्राणदायक वायु ऑक्सीजन मिलेगा। पौधों की सुरक्षा और देखभाल खुद की देखभाल करने के समान है। तो फिर करना क्या होगा?
जो आप खाते है मीठे आम उसके गुठलियों को मिट्टी में दबा दें,पानी का सिंचाव करें ,जब पौधे तैयार हो जाए तो सही और उपयुक्त जगह में लगा देवें।देखरेख,सुरक्षा और बागवानी लगाने का संकल्प लें।खुद समृद्ध रहे और पर्यावरण को भी समृद्ध, हरा भरा बनाएं।इससे आपको आम का फल मिलेगा और सुकून भरी छांव के साथ गर्मी से निजात मिलेगी।
(लेखक थरहा संस्था के फाउंडर है और अन्य कई एनजीओ से जुड़कर पर्यावरण को बचाने,सुरक्षित और संवर्धित करने के मुहिम में लगे हैं।)