** तू कितना बदल गया इन्सान **
देख तेरी संसार में हालत,क्या हो गई इंसान।
तू कितना बदल गया इंसान।।
मां भी काटी बाप भी काटा,
बहन भी काटी भाई भी काटा,
पति-पत्नी का रिश्ता नाटा,
जहां तहां अब घूमे खाकी,
कसर न छोड़ी कोई बाकी,
घर को बना दिया रे शमशान।
तू कितना बदल गया इंसान।।
बहन को लेकर भैया भागा,
भतीजा हुआ चाची का दीवाना,
कहीं ससुर को बहू है भाई,
कहीं पति की लाश बिछाई,
कई की कर आए गोद भराई,
दामाद को लेकर सास भाग गई,
चढ़ा प्यार परवान।
तू कितना बदल गया इंसान।।
भूल गया संस्कार निखौटे,
देखे हैं नित नए मुखौटे ,
कुछ की इज्जत गई लुटाई,
कुछ को पत्नी ही न भाई,
अग्नि को उसकी भेंट चढ़ाई,
रिश्ते किए हैं लहुलुहान।
तू कितना बदल गया इंसान।।
जिन रूपयों से हुई मुंह दिखाई,
उनसे पति का कत्ल कराई ,
किया है अपने मुंह को काला,
नौकरी के लिए पति मार डाला,
ऐसा घिनौना कुकृत्य किया है,
पति मारकर ड्रम में भरा हैं,
प्रेमी संग बन गई हैवान।
तू कितना बदल गया इंसान।।
बच्चों को तुम ज्ञान कराओ,
संस्कार का पाठ पढ़ाओ,
अच्छे बुरे में फर्क करोओ,
ऐसी मजबूत नीव बनाओ,
रिश्ते नाते उन्हें समझाओ,
कहे यादकेत”कोई फिर पनपे ना हैवान।
तू कितना बदल गया इंसान।।
स्वरचित रचना डॉ० ओमवती ‘यादकेत’