शिवमय यह जीवन मेरा
शिवमय यह जीवन मेरा
शिवमय जग ही सारा है ,
जन्म लगायत मृत्यु तलक
शिव बस तेरा सहारा है।
शिवमय पूरित संसार सकल
ब्रह्माण्ड बना यह शिव से ही है
अखिल विश्व का संचालक
जग सारा समाहित शिव में ही है।
करता कल्याण सदा दुखियों का
पीकर स्वयं असाध्य गरल
उसकी कृपा से बनी हुई यह
सृष्टि सनातन है अविरल।
सन्देश एक पावन शिव का
करे त्याग का सदा वरण ,
कल्याण हेतु सबके तुम छोडो
अपने हित का लोभ संवरण।
प्रश्न सदा यह उर में है आता
शिव को सावन क्यों है प्यारा ,
पावन दृष्टि एक हम डाले
संस्कृति अपनी जो है न्यारा।
आषाण सावन भादों क्वार की
महिमा बहुत निराली है ,
अध्यात्म दृष्टि से चातुर्मास्य की
रोचक एक कहानी है।
आषाण मास है बाल्य काल
युवपन सावन कहलाता है।
भाद्रपदों में व्यक्ति निरापद
बौद्धिक शाश्वत हो जाता है।
है आश्विन चौथापन सबका
घर घर होती राम कथा
सभी जानते हम है इसको
सदियों से है यही प्रथा।
इस चार मास में सिमटी है
सम्पूर्ण सृष्टि की अटल कहानी,
श्री हरी विष्णु करते शयन
सृष्टि भार ढोते शिव दानी।
कहते सभी है इसीलिए
शिव को है यह बहुत पियारी,
सतत स्मरण राम नाम का
करते रहते औघड़ दानी।
कैलाशधाम में बैठे शंकर
निर्मेष सती से वार्ता करते ,
हाथ जोड़ निष्काम भाव से
कथा राम की उन्हें सुनाते।
निर्मेष