*साम्ब षट्पदी---*
साम्ब षट्पदी—
17/07/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
मूल्यवान।
आवश्यक नहीं,
हो सदैव धनवान।।
खुद को जिसने कभी जाना।
अपनी महत्ता बढ़ायी है यहाँ,
उसे ही इस दुनिया ने है पहचाना।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
देहदान।
माना है महान।।
इससे भी बड़ा यज्ञ।
न रहे कोई यहाँ अल्पज्ञ।।
सतत प्रयत्नशील जो रहता।
उसे ये जमाना सदैव याद करता।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
अंशदान।
करते रहिए।
अर्जित जो भी किया है,
दे के मुख मुस्कान भरिए।
श्रेष्ठ मानव का कर्तव्य यही है,
पीड़ितों के बनिए निःस्वार्थबागवान।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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