दृढ़ निश्चय
आवाज़ कभी ऊंची मत करना,
दिल में कभी भी जहर नहीं भरना।
डर कर क्या होगा जीवन में,
हर परिस्थिति का है सामना करना।।
अपना दर्द कभी तू छुपाना मत,
कभी झूठ मूठ का मुस्कुराना मत।
तुझे सच का सामना करना है,
रोज झूठी बातें बनाना मत।।
यूँ खुद को सताने से क्या होगा,
कमरे में सिमट जाने से क्या होगा।
तुझे मन के दिये जलाने हैं,
यूँ चिरागों को बुझाने से क्या होगा।।
जब ज़ख्म सीने पर लगा है तुझको,
तो आइने पर चिल्लाने से क्या होगा।
तुझे अपना रास्ता चुनना ही होगा,
कदमों के लड़खड़ाने से क्या होगा।।
यह रात अंधेरी है ये तो ढल जाएगी,
तेरे हालात भी खुद ही बदल जाएंगे।
तुझे अपनी ही आँखें खोलनी होंगी,
सूरज के जगमगाने से क्या होगा।।
तू बैठ नदी किनारे सुस्ताना मत,
खुली आँखो से अपनी योजना बना।
मंजिलें तो हौसलों से मिलती हैं,
खाली कश्तियों के चलाने से क्या होगा।।
कहे विजय बिजनौरी इस जीवन में,
सबको अपना कर्म यहाँ करना होगा,
दृढ़ निश्चय से अपना कार्य तू कर,
हाथ पर हाथ रख बैठने से क्या होगा।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।