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30 Sep 2025 · 2 min read

प्रेम और संभोग

प्रेम सम्भोग

शाम मे नशा, मन मे शरारत हैदिल मे तड़प, उमंगो मे हिमाकत हैहोटो मे प्यास, आँखों मे इजाजत हैजिव्हा मे मदिरा, तन मे हरारत हैबदन मे तनाव, यौवन मे कसावट हैउरोजो मे उठान, योनी मे तरावट हैबारिश की बुँदे, जिस्मों को भिगावत हैभीगा वस्त्र, सुंदर रूप को दिखावत हैआँखों का तीर, गोरी को निहारत हैहाथों का जाल, वक्क्षो को छिपावत हैप्रेमी का हाथ, कूल्हों को सहलावत हैयौवन कलश, सीने मे छुपावत हैअधरों की मदिरा, पीने को सर झुकावत हैअधरों से अधरों का मिलन, सांसों को महकता हैजिव्हा स्पर्श, प्रेम मे वासना भर जाता हैपंख चीर मदिरा सागर, को मथ उफान उठाता हैमृदु अमृत, प्रेमी की प्यास बुझाता हैवस्त्र भार बन, तन से निकल जाता हैनिवस्त्र यौवन, कामेन्द्रियाँ विचलित कर जाता हैचुचियों का गहरा घेरा, अधरों को ललचाता हैहो व्याकुल प्रेमी, बच्चा बन जाता हैस्तन पीता, चूचुकों को चुभलाता हैलिंग देख, योनी प्यारी, इठलाता हैअकड़-अकड़ के, योनी को रिझाता हैपा निमंत्रण, योनी मुस्कराती हैरह-रह के अपना, मधु बहाती हैहोटो मे प्यास, जीभ मे तड़प भर जाती हैयोनी रस को पीने, छत्ते मे घुस जाती हैदे-दे कर सलामी, लिंग आंसू बहाता हैकोमल अधरों को, लिंग पे प्यार आता हैभर मुंह मे लिंग, जिव्हा सत्कार करती हैउपर नीचे लिंग की, चूसा चाटी करती हैमस्त हो लिंग, अमृत द्वार से निकल आता हैयोनी मिलन को, बदन पे छा जाता हैहाथों का बांध, जिस्मों पे जकड़ जाता हैलिंग योनी मे, धीरे-धीरे समा जाता हैहोटो से अधरों का, मिलन हो जाता हैहाथ चुचियों को, दबाता सहलाता हैस्त्री का पुरुष से, काम युद्घ छिड़ जाता हैकाम-रति नृत्य, शुरू हो जाता हैलिंग योनी पे घर्षण से प्रहार किये जाता हैहर प्रहार पे योनी मुख खुल-खुल जाता हैकाम-रस रिसता, लिंग नहलाता जाता हैसाँसों मे तुफान,आवेगों मे उफान,अंगों मे भूचाल,आहो मे चीख भर जाता हैवासना का ज्वार कुछ पलों में बह जाता हैसृष्टि का प्रकृति से मिलन पूर्ण हो जाता हैएक नये पौधे का बीज प्रकृति को दे जाता है

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