चौपाई विधान और लय दुर्घटना ( सउदाहरण)
चौपाई विधान और ल़य दुर्घटना
एक प्रश्न आया कि चौपाई में #आठवी_नौवीं_संयुक्त_मात्रा_में
#लय_दुर्घटना क्या है ??
#समाधान 👇👇
चौपाई छंद #चौकल और #अठकल के मेल से बनता है।
समस्त संभावनाएँ निम्न हैं।मात्रा बाँट निम्न है।
4-4-4-4, 8-8, 4-4-8, 8-4-4. 4-8-4,
इनमें देखें तब
4-4-4-4, 8-8, 4-4-8, 8-4-4. में योग तो दो अठकल के ही बन रहे हैं | पर हम चर्चा करते हैं – 👉 4-8-4, की।
अठकल बनते हैं 👉– 44. 332 35.
से…
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
का विशेष उदाहरण आठवीं नौवीं संयुक्त मात्रा में आता है , फिर भी लय है , सभी स्वीकार भी करते हैं क्योंकि 4 8 4 है!!
जय हनु मान ज्ञान गुन सागर
जय हनु =4. मान ज्ञान गुन 8 सागर 4
कोई लय दुर्घटना नहीं हैं ,और 4 8 4 है व हनुमान उच्चारण करने पर हनु मान दो भागों में उच्चारित होता है
पर हर कोई तुलसीदास जी नहीं हैं, कि लय सम्हाल ले जाएँ ,
देखा-देखी आठवीं नौवीं को, मित्र गण संयुक्त कर देते हैं।
जैसे- #बड़े_दयालु_वीर_बजरंगी
3. 4. 3. 2. 4 = 16 मात्रा गिन लीजिए
व आठवीं नौवीं संयुक्त है , कलन पाठक गण मिलाते रहें |
अब इसे चौपाई की 484 की मात्रा बाँट में ले जाएँ
बड़े दया लु +वी र + बज रंगी
3. 3. 3. 3. 4. = चार त्रिकल एक साथ आ रहे ×××
अब इसे (” ले जोड़ा की फौज” या “भानुमति के पिटारे ” ) से सही सिद्ध करते हैं।
बडे +द. यालु वीर बज . रंगी
4. 3. 3. 2. 4 = 4 8 4 बाँट हो गया
बड़े + द से जगण बन रहा है , पर तर्क हेतु खंडित जगण है।
बस इसे ही “लय दुर्घटना ” कहते हैं 🙏 क्योंकि “” बड़े दयालु”‘
गेय करने के बाद प्रवाह में थोड़ा रुकना पड़ेगा , तभी ” वीर बजरंगी ” गेय आगे बढ़े़गा |
पर एफ बी पर मित्र मात्रा गिनाते हैं।
प्राचीन कवि लय से चलते थे |
इसीलिए विद्वान आठवीं नौवीं संयुक्त करने से वचाव का परामर्श देते हैं | बहुत कुशल जन ही आठवीं नौवीं संयुक्त करके लय ला पाते हैं
पिछले दिनों एक तथाकथित आचार्य जी ने भी अपने दोहे के
पंचकल प्रारंभ चरण को ऐसे ही “”ले जोड़ा कि फौज”” से कलन बनाए थे |
यह आलेख किसी विशेष पर उल्लेखित नहीं किया गया है , आए प्रश्न का उत्तर हैं।
जो सबके लिए उपयोगी हो सकता है। इसीलिए प्रकाश डाला है।
स्वीकार या अस्वीकार करना पाठक / कवि मित्रों का अधिकार है |
सादर – सुभाष सिंघई
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कुछ कवि मित्रों को देख रहा हूँ कि चौपाई विधान में ही भ्रमित हैं।
चौपाई छंद ( संक्षिप्त विधान पुनः समझें)👇👇
चार चरण, 16 मात्रा प्रति चरण
#चरणान्त में चौकल – 22. 211. 112. 1111
#कलन – अठकल + अठकल
#अठकल – 332 या 44. या 35
#लय_दुर्घटना 🥰🙏 जब आठवीं नौवी मात्रा संयुक्त होने लगे।
लोभी धन का+ ढेर लगाता |
पास नहीं सं + तोषी माता ||
हाय-हाय में +. खुद ही पड़ता |
दोष सुभाषा + सिर पर मढ़ता ||
कहीं -कहीं नग+ दी में जुटता |
कभी उधारी +. करके लुटता ||
कभी सृजन हो + जाता भारी |
कहीं सृजन में + बंटाधारी ||
ग्रीष्म ताप को +चढ़े जवानी |
बने प्यार का +बादल दानी |
रोम-रोम में +खिले कहानी |
बरसे जब भी + पहला पानी |
( यह चौपाई चाल का ,/कलन उदाहरण है
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चौपाई छंद विधान (मात्रिक छंद परिभाषा)
चौपाई छंद 16 मात्रा का छंद है। यह चार चरणों का सम मात्रिक छंद है। चौपाई के दो चरण अर्द्धाली या पद कहलाते हैं। जैसे-
“जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीश तिहुँ लोक उजागर।।”
ऐसी चालीस अर्द्धाली की रचना चालीसा के नाम से प्रसिद्ध है। इसके एक चरण में आठ से सोलह वर्ण तक हो सकते हैं, पर मात्राएँ 16 से न्यूनाधिक नहीं हो सकती। दो दो चरण समतुकांत होते हैं। चरणान्त गुरु या दो लघु से होना आवश्यक है।
चौपाई छंद चौकल और अठकल के मेल से बनती है। चार चौकल, दो अठकल या एक अठकल और दो चौकल किसी भी क्रम में हो सकते हैं। समस्त संभावनाएँ निम्न हैं।
4-4-4-4, 8-8, 4-4-8, 4-8-4, 8-4-4
चौपाई में कल निर्वहन केवल चतुष्कल और अठकल से होता है। अतः एकल या त्रिकल का प्रयोग करें तो उसके तुरन्त बाद विषम कल शब्द रख समकल बना लें। जैसे 3+3 या 3+1 इत्यादि। चौकल और अठकल के नियम निम्न प्रकार हैं जिनका पालन अत्यंत आवश्यक है।
चौकल = 4 – चौकल में चारों रूप (11 11, 11 2, 2 11, 22) मान्य रहते हैं।
(1) चौकल में पूरित जगण (121) शब्द, जैसे विचार महान उपाय आदि नहीं आ सकते।
(2) चौकल की प्रथम मात्रा पर कभी भी शब्द समाप्त नहीं हो सकता।
चौकल में 3+1 मान्य है परन्तु 1+3 मान्य नहीं है। जैसे ‘करो न’ न करो अमान्य है । ‘करो न’ पर ध्यान चाहूँगा, 121 होते हुए भी मान्य है क्योंकि यह पूरित जगण नहीं है।
3+1 रूप खंडित-चौकल कहलाता है जो चरण के आदि या मध्य में तो मान्य है पर अंत में मान्य नहीं है। ‘करे न कोई’ से चरण का अंत हो सकता है ‘कोई करे न’ से नहीं।
अठकल = 8 – अठकल के दो रूप हैं। प्रथम 4+4 अर्थात दो चौकल। दूसरा 3+3+2 है जिसमें त्रिकल के तीनों (111, 12 और 21) तथा द्विकल के दोनों रूप (11 और 2) मान्य हैं।
(1) अठकल की 1 से 4 मात्रा पर और 5 से 8 मात्रा पर पूरित जगण – ‘सुभाष ’ ‘सदैव ‘प्रकाश’ जैसे शब्द नहीं आ सकते।
(2) अठकल की प्रथम और पंचम मात्रा पर शब्द कभी भी समाप्त नहीं हो सकता। आप करो जप सही है जबकि ‘जप आप करो ’ गलत है क्योंकि आप शब्द पंचम मात्रा पर समाप्त हो रहा है।
चौपाई में अंजनेय छंद
यदि चौपाई के चारों चरण , 11 वर्ण के बन जाए , तब उसे अंजनेय / आंजनेय / हनुमत छंद कह सकते है
सुभाष सिंघई जतारा टीकमगढ़ म०प्र०