*साम्ब षट्पदी---*
साम्ब षट्पदी—
12/07/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
ये बेचैनी।
अनवरत ही,
ठोंकते रहते छैनी।।
आहत ये सारा अस्तित्व है।
व्यथा-कथा को कह देने के लिए,
जागता अंतर्मन से कोई कवित्व है।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
अजगैबी।
होता है निर्वैरी।।
मुक्तप्राय आसक्ति।
अनिर्वचनीय हो विभक्ति।।
वंद्य होता महासूत्रक से सदा।
सुकर्म निर्लेप अशेष सुखप्रदा।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
ज्वालामुखी।
है अंतरदशा।
विध्वंसकारी कुकर्म,
खींचता है कोई नया नक्शा।।
इसका सूतक मौन स्वीकृति है,
चेष्टा होती है कोई न रह पाये सुखी।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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