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11 Jul 2025 · 1 min read

2122 2122 2

2122 2122 2

सारे गम बेहद छटे निकले,
दर्द भी सारे थके निकले।

कब ख़ुदा की रहमतें बरसीं,
उम्र भर हम ताकते निकले।

ज़ाहिदों की हम सुनें क्यूं हां,
उम्र भर जो सरफिरे निकले।

इश्क़ में कुछ शख़्स तो ख़ुश हैं,
पर हज़ारों दिलजले निकले।

जी रहे तन्हाई में भी जो,
बज्म को वे झांकते निकले।

दिल का सागर गहरा औ चौड़ा,
ओ किनारे भी बड़े निकले।

हौसला दानी जगाया जब,
तो बहुत से रास्ते निकले।

( डॉ संजय दानी )

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