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11 Jul 2025 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी---*

साम्ब षट्पदी—
11/07/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

यायावरी।
है पसंद मुझे,
सदा मेरी बिरादरी।।
जिसको असभ्य कहता है।
निष्कपट हृदय का प्रतीक है,
शाम ढले एक छत पर रहता है।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

बुहारती।
घर सँवारती।।
तन ही नहीं मन भी।
पवित्रता से कुल धन भी।।
धर्म पत्नी है निश्छल वृत्ति मेरी।
नेह समर्पित आजीवन बद्ध चेरी।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

पराक्रमी।
जो संकल्पवान।
चित्त में स्थितप्रज्ञता,
निरहंकारी योद्धा महान।।
जीवन कुरुक्षेत्र होता विजयी,
निश्चित अर्जुन सा होता वह आदमी।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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