दोहा छंद
गुरु ही सच्ची सीख दे, बाकी मिथ्या वाक।
सत्पथ से मतलब नहीं, चाहे केवल धाक।।
गुरु शरणागत जो रहे, जीवन हो साकार।
जग में गुरु के ज्ञान से, हो जाते सब पार।
सच्चा गुरु जब जब मिले, करे चरित निर्माण।
गुरु के प्रवचन जब सुने, हीर बने पाषाण।।
संगत में गुरु की रहो, बात सुनो सब ध्यान।
राह प्रकाशित गुरु करे, कहना उनका मान।।
जीवन में गुरु ज्ञान से, जागे बुद्धि विवेक।
भले बुरे के ज्ञान से, कर्म करें सब नेक।।
-गोदाम्बरी नेगी