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10 Jul 2025 · 1 min read

छोटी ख़ुशी मेरी।

आईनों से नहीं है दुशमनी मेरी ,
अक्श से अपनी डरती ज़िन्दगी मेरी।

सब्ज गुलशन समझ बैठा मै सहरा को
अब कहां से बुझेगी तशनगी मेरी।

शमा के प्यार मे मै जल चुका इतना
मर के अब रो रही है खुदकुशी मेरी ।

मै बड़ी से बड़ी खुशियों को पकड़ लाया
दूर जाती गई छोटी खुशी मेरी।

तू नहीं तो नशा काफ़ूर है दानी ,
इक नज़र ही तुम्हारी मयकशी मेरी ।

( डॉ संजय दानी )

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