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10 Jul 2025 · 1 min read

यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी। विभवे यस्य सन्तुष्

यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी। विभवे यस्य सन्तुष्टिस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।। “अर्थात” – जिस व्यक्ति का पुत्र आज्ञाकारी हो, पत्नी सहमति में चलने वाली हो और जो अपने धन में संतुष्ट हो उसके लिए यह संसार स्वर्ग के समान है…🙏🏃🏻संस्कार देते रहिए। आज हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती नई पीढ़ी को उनकी सामाजिक जिम्मेदारियों से अवगत और उनके कर्तव्यबोध का उनको ज्ञान कराना है। संस्कारों की लड़ाई है जीतना जरूरी है। प्रणाम, नमस्कार, वंदेमातरम् … भारत माता की जय 🚭‼️

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