नये पुराने हैं सभी, एक प्रकृति का अंग।
नये पुराने हैं सभी, एक प्रकृति का अंग।
सबने अपने कर्म से, भरा जहां में रंग।।
प्रकृति कर्म का फल भरे, रखना है विश्वास।
नहीं कर्ज हम दे रहे, रखें सोच कुछ खास।।
:- राम किशोर पाठक
नये पुराने हैं सभी, एक प्रकृति का अंग।
सबने अपने कर्म से, भरा जहां में रंग।।
प्रकृति कर्म का फल भरे, रखना है विश्वास।
नहीं कर्ज हम दे रहे, रखें सोच कुछ खास।।
:- राम किशोर पाठक