प्रदीप छंद हर मुश्किल आसान हो
हर मुश्किल आसान हो
प्रदीप छंद
16-13
पदांत 212
साँझ ढले तुलसी पर जलता, फैला दीप उजास हो।
बूढ़ा बरगद भी कहता है,आस्था पर विश्वास हो।।
पगपग ठोकर खाता क्यों है,चलना तेरा धर्म हो।
छोटे छोटे कदमों में ही,छिपा हुआ मनु कर्म हो।।
भीगे सारे पर सपनों के ,हर मुश्किल आसान हो।
बूढ़ा बरगद भी है कहता , आस्था पर विश्वास हो।।
करते नव सृजना ये बालक, नित्य नवल संधान हो।
कड़ी धूप या ओले बारिश,तेरा ही अवधान हो।।
हार जीत से ऊपर उठ कर, होती कर्मठ आस हो।
बूढा बरगद भी है कहता, आस्था में विश्वास हो।
कर्म पहचान बनते तेरी, करना मत अभिमान तू।
तेरा श्रम ही उपकारी हो,रह सदैव गतिमान तू।।
रखो लक्ष्य ऊँचा अब अपना,पार्थ कृष्ण जब पास हो।
बूढ़ा बरगद भी है कहता, आस्था में विश्वास हो।।
मनोरमा जैनपाखी
8/7/2025
मंगलवार.