मैं ठहरे पानी में चांद सा, फलों की बगिया में आम सा
मैं ठहरे पानी में चांद सा, फलों की बगिया में आम सा
मुस्कराऊंगा जिसदिन मैं अपना परिश्रम सफल पाऊंगा
मैं लोहे सा, सोने सा, स्वयं सूर्य सा भी
चमक जाऊंगा जिसदिन मैं परिश्रम सफल पाऊंगा
मैं चंचल छाया, मैं विस्मित काया प्रेम विशेष में
मिट जाऊंगा जिसदिन मैं अपना परिश्रम सफल पाऊंगा