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7 Jul 2025 · 1 min read

हँसी लबों पे बेहिसाब रखो ।

हँसी लबों पे बेहिसाब रखो ।
पर हर हँसी का हिसाब रखो ।
मुस्कुरा दें ख़यालों में भी हम,
तासीर रिश्ता यूँ इख़्तियार रखो ।
….विवेक दुबे”निश्चल@…

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