हँसी लबों पे बेहिसाब रखो ।
हँसी लबों पे बेहिसाब रखो ।
पर हर हँसी का हिसाब रखो ।
मुस्कुरा दें ख़यालों में भी हम,
तासीर रिश्ता यूँ इख़्तियार रखो ।
….विवेक दुबे”निश्चल@…
हँसी लबों पे बेहिसाब रखो ।
पर हर हँसी का हिसाब रखो ।
मुस्कुरा दें ख़यालों में भी हम,
तासीर रिश्ता यूँ इख़्तियार रखो ।
….विवेक दुबे”निश्चल@…