शब्द
कोई आश्चर्य नहीं है
शब्दों का थक जाना
शब्दों का खुद को छुड़ाना
कविताओं से,अन्य विधाओं से
खुद को खींचना
साहित्यिक कैद से मुक्त होना
साहित्यकारों के विचारों से
दूर जाना
उनकी कठपुतलियां बनकर
नहीं जीना चाहते
शब्द
थक गये हैं
प्रयुक्त होते-होते
छुड़ा रहे हैं खुद को
सभी बंधनों से
नीलगगन में स्वच्छंद विचरण को
सभी प्रकार के बंधनों से दूर
अपने जीवन को
नया आकार देने को
लालायित
शब्द।
-अनिल मिश्र