फिक्र हाँ वतन की
फिक्र हाँ वतन की, नहीं है किसी को।
मोहब्बत वतन से, नहीं है किसी को।।
फिक्र हाँ वतन की——————–।।
यहाँ चाहते हैं सभी, हाँ फ़क़त अपनी खुशी।
जरूरत वतन की, नहीं है किसी को।।
फिक्र हाँ वतन की——————–।।
भूल गए हैं हाँ सभी, नाम उन शहीदों का।
कुर्बानी देना पसंद , नहीं है किसी को।।
फिक्र हाँ वतन की———————।।
बेच दिया है हाँ ईमान, बनने को धनवान।
देशभक्ति अब पसंद, नहीं है किसी को।।
फिक्र हाँ वतन की———————-।।
देख रहे हैं खामोश हाँ, मुल्क की बर्बादी।
मतलब अपने वतन से, नहीं है किसी को।।
फिक्र हाँ वतन की———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)