*साम्ब षट्पदी---*
साम्ब षट्पदी—
07/07/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
आज्ञाकारी।
पत्नी मुझे मिली,
भारतीय थी संस्कारी।।
मुझमें अनेक दोष रहे।
नास्तिकता की रही गहरी छाप,
समझाते चली गई अब कौन कहे ?
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
व्याभिचारी।
दुनिया है सारी।।
मुश्किल है यहाँ जीना।
केवल जहर हुआ पीना।।
किस पर विश्वास करूँ बताओ।
हे दीनबन्धु मेरी खातिर अब आओ।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
कुविचारी
लोग यहाँ मिले।
कोशिशें हजारों किये,
अब भी हैं जारी सिलसिले।।
जो भी बीज रोपित किया था माँ ने,
उस धर्म-वृक्ष से सारी दुनिया हारी।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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