⟨ रिश्तों की कद्र ⟩
⟨ रिश्तों की कद्र ⟩
रिश्तों की कद्र करो ऐसी,जैसे पैसों की कीमत हो,
बड़ी मुश्किल से मिलते ये,ना कोई सस्ती हिकमत हो,
कमाई मुश्किल इनकी भी,पल-पल जोड़ना पड़ता है,
विश्वास की नींव रखनी है,हर दिन गढ़ना पड़ता है,
एक ग़लत क़दम, एक कड़वा ,बोल, सब मिट्टी में मिल जाता है,
जैसे नोट हाथ से फिसले,रिश्ता भी बिखर जाता है,
वक़्त दो, प्यार दो, समझो,ये ही इनका असली मोल है,
जो सहेज कर रखे तुमने,तो जीवन अनमोल है,
ये दौलत है मन की सच्ची,हर मोड़ पर साथ निभाए,
इनको गंवाया जिसने,वो जीवन भर पछताए,
तो संभलकर रखो दोनों को,ये ही जीवन की थाती हैं,
रिश्ते और धन दोनों ही,अपनी-अपनी सौग़ातें हैं,🍁