घड़ीभर

सिर्फ़ मेरे हो तुम माना मैंने
घड़ीभर,
दामन गैर का छुआ न कभी तुमने
घड़ीभर।
क्या ये सच है जरा सोचो तुम
घड़ीभर,
पूछेंगे हम बात ज़माने से जाकर
घड़ीभर।।
क्या करोगे इंतजार आने का मेरे ?
घड़ीभर,
गर सच हुई बात बैठेंगे हम तुम संग
घड़ीभर।
कर लेना नज़रे चार बेझिझक मुझसे
घड़ीभर,
याद रखना ये मुलाकात बिछडेंगे जब
घड़ीभर।।