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6 Jul 2025 · 1 min read

अगर सोचोगे जहां की

अगर सोचोगे जहां की, जायेगी जान तुम्हारी।
दुनिया तो चाहती यही है, दे दो तुम जान तुम्हारी।।
अगर सोचोगे जहां की—————————-।।

वफ़ा तो वो भी नहीं है, जो तुम्हें कहते हैं अपना।
खुश हैं वो भी तब तक, उनपे हो जान तुम्हारी।।
अगर सोचोगे जहां की————————-।।

कौन चाहेगा तुम्हारे लिए, करना अपनी बर्बादी।
सभी शौकीन हैं दौलत के, मत दे तू जान तुम्हारी।।
अगर सोचोगे जहां की—————————।।

जिनको तुमने माना है, अपने रिश्तें और दोस्त।
करते हैं पीछे तेरी बुराई, चाहते हैं जान तुम्हारी।।
अगर सोचोगे जहां की————————-।।

प्यार तो उसको भी नहीं है, तुमने की है जिससे मोहब्बत।
पसंद उसको भी नहीं है, बचाना जान तुम्हारी।।
अगर सोचोगे जहां की————————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)

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