कुंडलिया. . . .
कुंडलिया. . . .
छोड़ा दर्पण हो गया, व्यर्थ देह शृंगार ।
बैरी तेरी याद में, नयन बहे जलधार ।
नयन बहे जलधार, रात भर जागे नैना ।
हर करवट दिल मीत, पुकारे सारी रैना ।
जिसका पकड़ा हाथ, उसी ने यह दिल तोड़ा ।
दिल ने हो मजबूर , देखना दर्पण छोड़ा ।
सुशील सरना / 6-7-25