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6 Jul 2025 · 1 min read

*नवनिधि क्षणिकाएँ---*

नवनिधि क्षणिकाएँ—
06/07/2025

रूठे हो कई दिनों से
जिंदगी बदहाल सी है
सुनो, मान लो मेरी बात
बस एक बार मुस्कुरा दो।

कर्ज से दबा हुआ हूँ मैं
सामने बड़ी परेशानी है
तुम आज आकर कहते हो
बस एक बार मुस्कुरा दो।

तेइस घण्टे उनसठ मिनट रोना रोइए
जब भी अवसर मिले खुद पर हँसो
बड़े प्यार से खुद से कहा करो
बस एक बार मुस्कुरा दो।

कई महिनों से मुस्कुरा रहा हूँ
किसी ने कहा था यही मंत्र है तरक्की का
झमेले में पड़ा हूँ, फिर भी वो कहता है
बस एक बार मुस्कुरा दो।

रोने के लाखों बहाने हैं
सारी दुनिया रोती नजर आये
हिम्मत मत हार मेरे दोस्त
बस एक बार मुस्कुरा दो।

काँधे पर माँ की अर्थी है
बेटी की विदाई घड़ी पर
हरामखोर फोटोग्राफर कहता है
बस एक बार मुस्कुरा दो।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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