इक सपना जो टूट गया
बचपन कबका छूट गया
इक सपना जो टूट गया
वो जगमग करते तारे
आसमां के राज दुलारे
चंद्रमा में खोये- खोये
खाते लेते शक्कर पारे
वक्त मासूमियत लूट गया
इक सपना जो टूट गया
लुका छिपी जिंदगी की
नाव डगमगाती खुशी की
रोता बिलखता रहे आदमी
किसे परवाह है किसी की
दूसरे सपने में जुट गया
इक सपना जो टूट गया।
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला -कुशीनगर