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5 Jul 2025 · 1 min read

*नवनिधि क्षणिकाएँ---*

नवनिधि क्षणिकाएँ—
05/07/2025

जी भर गया नसीहत सुनकर
ये तो उनकी पुरानी आदत है
किरदार है ही इस तरह का उनका
घर फूँक दिया था रोशनी के लिए।

जब तक नसीहत पर अमल नहीं
मात्र शब्दों का विलास ही तो है
अगर गौर करोगे समझ पाओगे
तुमको लेकर बहुत चिंतित रहता है।

दादी की नसीहत सो चुकी
पिताजी बड़े ढीठ थे शुरू से
दादी चली गई दादाजी के पास
अब रोज अगरबत्ती जलाते हैं वो।

बुजुर्गों की नसीहत का क्या बुरा मानना
40-50 साल का फासला है अपने बीच
इस अंतराल ने ही दूरियाँ बना रखी है
तुम्हीं बताओ मेरा क्या कुसुर है अब।

पालन करता हूँ उनकी नसीहत को
मैं सचमुच बदल रहा हूँ आजकल
लोग कहते हैं ये कैसे हुआ चमत्कार
मैं गुरुदेव की टँगी तस्वीर दिखा देता हूँ।

उनको नसीहत देने की बीमारी है
नहीं मानना ये मेरी आदत में शुमार
कोई फर्क नहीं पड़ता जो भी हो
मेरा ढंग तुमको भी पसंद नहीं, पता है।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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