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5 Jul 2025 · 1 min read

तुम्हारी यादों का बोझ हटा लो न ll

तुम्हारी यादों का बोझ हटा लो न ll
मुझे फिर से चलना है, रस्ता दो न ll

हाथ देखकर भविष्य बताने वालों
मेरी हालात देखकर भी बता दो न ll

नियम कानून से जो बंधा न हो
मुझे ऐसे सुकून का पता दो न ll

तुम्हारे बिना चलने की मैं सोच तो रहा हूं मगर,
ऐसा संभव ही नहीं के तुम्हारी आवश्यकता हो न ll

रोने गाने के फसाने चलते रहने से,
मेरे घर में तुम्हारा मन लगता तो न ll

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