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4 Jul 2025 · 1 min read

बुद्ध

लाख वर्तमान की उपासना करो
अतीत किसी न किसी रूप में
मुस्कुराता , मुंह चिढ़ाता
प्रकट हो ही जाता है।

खोखला हो जाता है ,
बुद्ध का क्षणिक मत।

खंडित हो जाती है
राम की मूर्ति।

कमजोर होने लगता है
महादेव का उद्घोष।

फीके पड़ने लगते हैं,
साहित्य के सारे निचोड़।

बस पटल पर अंकित ,
भूतकाल की त्याज
सीता , उर्मिला , अहिल्या
यशोधरा , और हर एक स्त्री

जो छली गई हो
प्रेम के मृग से।

#निवेदिता रश्मि

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