मैं भी लड लूं पंचायत चुनाव!
मैं भी लड लूं पंचायत चुनाव,
इसी बहाने घुम लूं अपने गांव,
देख लूं उन्हें फिर एक बार,
करते रहे जो मुझसे प्यार,
जब भी जाता उनके घर,
खिला पिला कर करते निरुत्तर,।
कहिए कैसे आए,
क्या है मकसद,
हमसे कहें और बताएं,
हम तो कह कह कर थक गये थे,
तुम आना जाना छोड गये थे!
मैंने आने का कारण बताया,
पंचायत का चुनाव है आया,
बोलो तुम अब क्या चाहते हो,
मुझे लडने को कहते हो,
रहस्य मयी मुस्कान लिए हुए,
मैंने कहा, अब तुम कहिए,
उम्र के इस पडा़व पर,
कैसे घुमोगे,गांव घर,
ऊंची नीची ढलान है,
क्या शरीर में इतनी जान है,
जो चढ सको,
उतर सको,
और कभी गांव में रुक सको,
मैने होले से हामी भर दी,
चुनाव लडने की तैयारी कर दी!
अब चुनाव मैदान में हूँ,
गांव गलों में घुमता हूँ,
बांट रहा हूं अपनी अपील,
दे रहा हूं यह दलील,
फिर एक बार आजमा के देखो,
पिछले कामों को जांचो परखो,
भेद भाव कभी किया नहीं,
अपना पराया जिया नहीं,
जो बन पाया वह किया,
किसी से कुछ भी नहीं लिया,
पूर्ण रूप से समर्पित रहा,
अब आप जो समझो वो करो,
जितवा दो या फिर इनकार करो,
भावुकता से कहता हूं,
मैं सदैव साथ ही रहता हूं,
मैं भी लड रहा हूँ पंचायत चुनाव, घुम रहा हूं गांव गांव!!