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4 Jul 2025 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . .

दोहा त्रयी. . . .
वाक्य : नयन बहे जलधार

छोड़ा दर्पण अब हुआ , व्यर्थ देह शृंगार ।
बैरी तेरी याद में, नयन बहे जलधार ।।

खुशियों रूठी द्वार से, रैन बनी अंगार ।
विगत दिनों को याद कर, नयन बहे जलधार ।।

बहुत सताता रात दिन, परदेसी का प्यार ।
बाट जोहते रात दिन, नयन बहे जलधार ।।

सुशील सरना / 3-7-25

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