दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
वाक्य : नयन बहे जलधार
छोड़ा दर्पण अब हुआ , व्यर्थ देह शृंगार ।
बैरी तेरी याद में, नयन बहे जलधार ।।
खुशियों रूठी द्वार से, रैन बनी अंगार ।
विगत दिनों को याद कर, नयन बहे जलधार ।।
बहुत सताता रात दिन, परदेसी का प्यार ।
बाट जोहते रात दिन, नयन बहे जलधार ।।
सुशील सरना / 3-7-25