क्यों मुझसे प्रेम करे कोई?
क्यों मुझसे प्रेम करे कोई?
जब दिया किसी को प्यार नहीं।
तब मिले कैसे अधिकार कोई?
क्यों मुझसे प्रेम करे कोई?
जब निस्वार्थ भाव से रह ना सकी,
किसी को अपना कह ना सकी,
एक पल न किसी के काम आई,
फिर किस प्रेम को ललचाई?
क्यों रहे मिथ्या कल्पना कोई?
क्यों मुझसे प्रेम करे कोई?
ना दिया किसी को वक्त कभी,
ना बोले मीठे बोल कभी।
भावनाएं मन की बांधी रही,
नित कर्म में अपने मग्न रही,
बिन जिनके मेरा, अस्तित्व नहीं,
उनसे भी प्रेम जता न सकी।।
फिर क्यों रहे मुझे, ये भ्रम कोई?
क्यों मुझसे प्रेम करे कोई ?
जब सीख न पाई वह भाषा !
फिर मन में जगी कैसी आशा?
बिना परिश्रम फल कैसा?
अनुचित है यह प्रेमलिप्सा?
जैसा कर्म प्रतिफल वैसा,
क्यों व्यर्थ मन में रहे निराशा?
अबोध ये मन समझे नहीं !
क्यों मुझसे प्रेम करे कोई?
हर वक्त मन में यह द्वंद्व रहे,
सब मेरे हो, हम उनके रहे ।
यह चक्र कैसे चलता रहे?
जब पहिया एक कमजोर रहे !
करताल प्रेम की तभी बजे,
जब दोनों हाथों का सहयोग मिले ।।
रहस्य ना ये समझे कोई,
क्यों सबसे प्रेम करे कोई?
बिना परिश्रम फल कैसा 🙏🙏🙏