*नवनिधि क्षणिकाएँ---*

नवनिधि क्षणिकाएँ—
03/07/2025
तन समर्पित मन समर्पित
ये जीवन तुमको सौंप दिया
कुछ भी शेष नहीं अब मेरा
और बताओ क्या दे दूँ।
ये जो जीवन की किताब है
हर पृष्ठ हर लकीर पर तुम
मेरे सृजन के सारे शीर्षक
हर भावना है तेरे लिए ही।
मैं जिधर जाऊँ तू नजर आये
हर सूरत में समाया है तू ही
तेरी इनायत भरी जो नजरें हैं
मार्ग प्रशस्त करती हैं मेरा सदा।
तू जीवन का सफल महायज्ञ है
सब भूल चुका तेरे नाम के सिवा
सर्वसिद्धि मिलती हर कार्य में मुझे
मुझे पता है कि तू कौन है मेरे लिए।
जहाँ तू है मेरा मंदिर बन जाता
सबसे पहले और सबसे आखिर
तुझे सोचता हूँ, तुझे देखता हूँ
मेरा तारक मंत्र है तेरा गुप्त नाम।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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