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2 Jul 2025 · 1 min read

*नवनिधि क्षणिकाएँ---*

नवनिधि क्षणिकाएँ—
02/07/2025

पति अधेड़ बीमार ग्रस्त
ऐसी कोई पूँजी नहीं है
जो इलाज पर लगा सकूँ
मुझे किसका इंतजार है
मसीहे का या मौत का।

मैं चल तो रहा हूँ यकीनन
हर पल कुछ नये पड़ावों में
अतीत का मोह छूटता नहीं
क्यों देखने पर मजबूर होता
वो आ रहे हैं या नहीं इस सफर में।

पिताजी अक्सर कहा करते थे
लक्ष्यविहीन जीवन व्यर्थ है।
लक्ष्य तलाशने में ही गुजरी
तो खाक जीवन जिया तूने
सजग हो लगन ही काफी नहीं।

इस आखिरी यात्रा का परिणाम
न जाने क्या हो ये पता नहीं
कल मैं यहाँ रहूँ न रहूँ दोस्त
आशान्वित हूँ नये रास्ते खुलेंगे
अनंत गगन को छूने के लिए।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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