दोहा

दोहा
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हरे भरे सब बाग वन, खगकुल करें किलोर।
झींगुर झिल्ली बोलते, चहुॅंदिस गुॅंजत शोर।।
छायी काली है घटा, छटा निराली आज।
मन मयूर है नाचता, देख-देख यह राज।।
~राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)