*नवनिधि क्षणिकाएँ---*

नवनिधि क्षणिकाएँ—
30/06/2025
जिसे कभी नहीं देखा मैंने
उसका नाम सभी लेते हैं
जगत में एक सबसे प्यारा
मेरा प्रियतम आराध्य है।
अदृश्य प्रेरणा पुंजों का स्वामी
अप्रत्यक्ष मुझे वह देखता है
मेरा मन तो यही करता सदा
उसके सिवाय किसी को न देखूँ।
मेरा आराध्य मेरे मसीहे ने
थाम रखा है मेरी ऊँगलियों को
अब मुझे किस बात की चिंता
सब भार सौंप दिया है जीवन का।
विराट विश्व में तय करना मुश्किल
सभी के आकर्षक प्रेरक गाथाएं
मन असमंजस में रहा करता था
अब निश्चिंत हूँ स्वयं को सौंपकर।
वह लक्ष्य दिखाता राह बताता
मन के तिमिर को दूर करता
नित्य नयी उपलब्धियों देता
ऐसा है कृपालु मेरा आराध्य।
लक्ष्य दिया है जिसने मुझे
हर हाल में उसको पाना है
मुश्किलें आयेगी ये है पता
है यही मेरी अग्नि परीक्षा।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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