हाइकु
सागर
है
छुपा
खजाना
अंतस्थल
रत्न अनेक
अमृत-विष भी
कहलाता सागर।
क्यों
तुम
रहते
शांत चित्त
छुपा विश्व के
अवगुण सब
बोलो हे रत्नाकर?
-गोदाम्बरी नेगी
सागर
है
छुपा
खजाना
अंतस्थल
रत्न अनेक
अमृत-विष भी
कहलाता सागर।
क्यों
तुम
रहते
शांत चित्त
छुपा विश्व के
अवगुण सब
बोलो हे रत्नाकर?
-गोदाम्बरी नेगी