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28 Jun 2025 · 1 min read

हाइकु

सागर

है
छुपा
खजाना
अंतस्थल
रत्न अनेक
अमृत-विष भी
कहलाता सागर।

क्यों
तुम
रहते
शांत चित्त
छुपा विश्व के
अवगुण सब
बोलो हे रत्नाकर?

-गोदाम्बरी नेगी

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