*मेरे नैना*
मेरे नैना
जब से नैनों सै नैना,चार हो गए।
हसरतों के चमन, गुलज़ार हो गए।।
कभी चमने बहार मिली तो न थी,
कली मेरे गुलिस्तां की खिली तो न थी।
कभी लहरें तुफां में उठी तो न थी,
बहारे फिज़ा से वेख़बर ही तो थीं।
किसी ऐसे नक्श के दीदार हो गए।।
हसरतों के—————
वो आए ज़िन्दगी में तुफां की तरह,
मिट गए सारे गम ओस बूंदों की तरह।
लव पर हंसी छा गयी बादलों की तरह,
उन्होंने देखा हमें जुगनू की तरह।
शर्मो हया से हम तार-तार हो गए।।
हसरतों के————–
मेरे मुकद्दर विरानगी गुलशन में यूं न आया करो,
गुजारिश है आ गए तो जाया ना करो ।
दिल ए रिश्तो को कुछ तो निभाया करो,
सैय्याद बनाकर बुलबुल को सताया न करो।
तीर ए नजर दिल के आर पार हो गए।।
स्वरचित रचना
ओमवती ”यादकेत”
अमरोहा ( उ०प्र०)